Author: मेरा रंग डेस्क
-

जीव-जंतुओं के प्रति करुणा जगाती महादेवी वर्मा की रचना ‘मेरा परिवार’
डॉ.चित्राआधुनिक युग की प्रमुख कवयित्री के रूप में महादेवी वर्मा का नाम प्रख्यात हैं। अपनी काव्यात्मक प्रतिभा, और दार्शनिक गम्भीरता के लिए आधुनिक हिन्दी कविता में महादेवी वर्मा का नाम उल्लेखनीय है । महादेवी वर्मा छायावाद की एक प्रख्यात कवयित्री हैं । महादेवी वर्मा और छायावाद दो ऐसे नाम है जिन्हें एक- दुसरे से अलग…
-

महादेवी वर्मा और उनका रेखाचित्र संसार
साधना वर्मामहादेवी वर्मा ‘छायावाद’ युग के प्रमुख आलोक स्तम्भों में से एक हैं। प्रसाद, निराला, पंत जैसे कवियों की इस काव्य त्रिवेणी के बीच महादेवी जी ने अपनी रचनाधर्मिता के बल पर न केवल स्त्री प्रतिभा का लोहा मनवाया, वरन् इन कवियों की काव्य सरिता को हिन्दी साहित्य सागर रूपी विविध विधाओं के साथ उनका…
-

-

तुम बचे रहो प्रेम
सहसा एक फूल गिरा कई रंग गिरे डाल से नए रंग उगे आसमान सफेद बादलों से घिरा नन्हीं चिड़िया फूलों का रस ले उड़ी अगर तुम खोलोगे इस खिड़की को तो देख पाओगे बाहर जो घटित हो रहा है जैसे जीवन हर पल कुछ कहता है मैं प्रकृति को सुनती हूं अक्सर मेरी उदास शाम…
-

किस्मत इन्हें कैमरे के सामने खींच लाई
“बरखुरदार तुम तो पैदाईशी एक्टर हो। फिल्मों में एक्टिंग करो। मैं तुम्हारी ज़िंदगी बना दूंगा। छोड़ो ये फोटोग्राफी।” मोहन सिन्हा ने ये बात जीवन साहब से कही थी। और ये बहुत साल पहले की बात है। चलिए आज जीवन साहब और उनके आइकॉनिक “नारद मुनि” के किरदार के बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं।…
-

आध रुपए की किताब मोल लेकर उस पर लेखक के दस्तखत लेना
मिर्जा साहब मेरी प्रतीक्षा में थे। मेरे जाते ही खाना परोसा गया। मिर्ज़ा साहब के लिए इतना कम और सादा कि जैसे बुलबुल के आँसू और मेरे लिए ढेर सारा और नाना प्रकार का। खाने के बाद पीरो मुर्शिद ने आँगन में धूप से कुछ हटकर अपना पलंग बिछवाया, मेरे लिए एक छोटी सी चौकी…
-

सोशल मीडिया पर क्यों लिखना चाहिए?
कुछ लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया पर लिखने का क्या फायदा। मेरा अपना अनुभव रहा है… इस सोशल मीडिया से पता चला कि दूरदराज में बैठे लोग भी कितना अच्छा लिख रहे हैं। कितनों को इसकी वजह से किताब छपवाने का अवसर मिला। जैसे शैलजा पाठक बहुत अच्छा लिखती हैं, हम सब उनके…
-

वर्तिका की नई किताब : जेलों में इंद्रधनुष बनाने की कोशिश
रामधनी द्विवेदीजब मैं बरेली में दैनिक जागरण का संपादकीय प्रभारी था, मेरे क्राइम रिपोर्टर सीपी सिंह ने एक दिन मुझसे कहा ‘ सर चलिए आपको एक नई जगह ले चलते हैं।‘ मैने पूछा भी कि कहां तो उसने नहीं बताया। मैं उसकी मोटरसाइकिल पर ही बैठ गया और थोड़ी देर में उसने बरेली सेंट्रल जेल…